सभी को अपनी सरहदों का, इल्म होना चाहिए
इश्क़ हो ना हो, मगर ये इल्म होना चाहिए।
लुटते हैं सभी इसमें बस एक नजर से
खंजर चलता नहीं यहाँ, ये इल्म होना चाहिए।
गुस्ताखियाँ कब तक करोगे, अपने माता-पिता से
रिश्ता ऐसा कोई और नहीं, ये इल्म होना चाहिए।
पर्दानशी हो वो या बे-पर्दा, हुक्म उन्ही का चलता है
इस सौदा में नफ़ा नहीं कभी, ये इल्म होना चाहिए।
सितम की रात होगी अभी और, ये अंदेसा है हमें
सितमगर कोई अपना भी होगा, ये इल्म होना चाहिए।
रुखसार पे उनके लाली, ये भी एक सजा है
जो चूमे उसे, उसको भी ये इल्म होना चाहिए।
नफरत की इस दुनिया में मोहब्बत की तलाश में
तन्हाई के सिवा कुछ नहीं, ये इल्म होना चाहिए।
इस दर्दे-दिल को लेकर ही जीना है हमें
हर दर्द की दवा नहीं, ये इल्म होना चाहिए।
हथेलियों की रेखा कहती है की हर साल शहनाई है
कुछ मिले, ये लाजमी तो नहीं, ये इल्म होना चाहिए।
Rifle Singh Dhurandhar