अभी तुम हसीन हो, अभी नाजुक बड़ी हो
अभी मिलेंगे तुमको गली-गली में मजनू।
अभी तुम नई हो, कातिल छरहरी हो
अभी तुम्हारे लिए चमकेंगे सारे जुगनू।
जिधर तुम डाल दो अपनी ये दिलकस नजर
उधर ही बैठे हैं तुमपे लुटाने को सभी आबरू।
Rifle Singh Dhurandhar
अभी तुम हसीन हो, अभी नाजुक बड़ी हो
अभी मिलेंगे तुमको गली-गली में मजनू।
अभी तुम नई हो, कातिल छरहरी हो
अभी तुम्हारे लिए चमकेंगे सारे जुगनू।
जिधर तुम डाल दो अपनी ये दिलकस नजर
उधर ही बैठे हैं तुमपे लुटाने को सभी आबरू।
Rifle Singh Dhurandhar
हसीन ए दिलरूबा बोल कर फ़िदा हो जाए तो क्या।
मज़ा तो तब है जब हुस्न के साथ फ़ना हो जाए।।
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महफ़िल महफ़िल ए शमा परवाना फिरता है।
बात तो तब है जब शमा संग परवाना जल जाए।।
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हुस्न, जवानी और जिस्म सब उसका हो जाए तो क्या ।
हैरत तो तब है जब क़यामत ए शाम में साखी से इज़ा(आमना सामना) हो।।
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Thanks a lot for such a nice comment and for reading my post.
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