प्रेम होता है जिस्म से और दिल रोता है
नजर के खेल में बस ये ही पेंच होता है.
रोकने से रुक जाए ये मुमकिन नहीं
बेवफाओ का बस ये ही अंदाज होता है.
Rifle Singh Dhurandhar
प्रेम होता है जिस्म से और दिल रोता है
नजर के खेल में बस ये ही पेंच होता है.
रोकने से रुक जाए ये मुमकिन नहीं
बेवफाओ का बस ये ही अंदाज होता है.
Rifle Singh Dhurandhar
एक प्रेम जिस्म से भी होता हैं ।
जिसके तस्सबुर में दिल ,
ज़ार ज़ार रोता होता हैं।।
कौन समझा है दिलो के पेच को ,
दिल तो उसी पर मरता है जो नज़र में हो ।।
मुमकिन नहीं है रुकना ,
जब वो बन जाये इश्क़ के शौक (बुरी आदत) ,
बिना इज़हारे मोहब्बत के ही तो सनम बेवफा होता है।।
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