जब दिल टुटा था, संभालना मुश्किल था
अब संभल गया हूँ, तो फिर टूटना मुश्किल है.
इस जमाने की भी क्या खूबी है?
की इसमें बेवफा को, बेवफा ही कहना मुश्किल है.
जो करते हैं वादे हर घड़ी प्यार -मोहब्बत के
उनका किसी पल भी, वादों पे टिकना मुश्किल है.
हया सारी निगाहों की उनकी है झूठी
की इस समंदर में किसी का भी टिकना मुश्किल है.
क्या पालोगे धुरंधर उनके आगोश में जाकर?
जिनके काँधे पे आँचल का भी टिकना मुश्किल है.
Rifle Singh Dhurandhar