मौसम कह रहा है न हैरान हो
बादलों में फिर से कोई नाम है सिवान से.
और वो जो फूल हर मौसम में खिल लेते हैं
वो आते हैं हमारे और तुम्हारे जैसे किसी गावं से.
वो फूल जो खिल कर मेरा न हुआ-२
किसी मयकसे में मुझे नशा न हुआ.-२
और किस्मत से क्या शिकवा करोगे परमीत
अम्बर पे चाँद आ के भी मेरे, मेरा न हुआ, मेरा न हुआ.
Rifle Singh Dhurandhar