मैं तन्हा -तन्हा सा एक मुसाफिर हूँ भोला
मैं भटक रहा हूँ, इतना काफिर हूँ भोला।
बस दो ही पल संग मुझे बिठा ले ए भोला
आज भंगिया थोड़ा तो चखा दे ए भोला।
मैं लुटा-हारा सा एक स्वार्थी, तू महादानी ए भोला
मैं भटक रहा हूँ, इतना पापी हूँ भोला
बस दो ही घडी, चरणों में बिठा ले ए भोला
आज भंगिया थोड़ा तो चखा दे ए भोला।
मैं माया-मोह में तू निर्मोही ए भोला
मैं भटक रहा हूँ, इतना कपटी हूँ, भोला।
बस दो ही क्षण गले से लगाले ए भोला
आज भंगिया थोड़ा तो चखा दे ए भोला।
RSD