परिंदो के पर नहीं होता
बिना परों के परिंदा नहीं होता।
हुस्न बेवफा होता है इश्क़ में
बिना बेवफाई के इश्क़ नहीं होता।
बरसों लगे उन्हें बाहों से सेज तक आने में
यूँ ही कोई सफर लम्बा नहीं होता।
मत पूछ मुझसे मेरे दर्दे-जिगर का हाल
अब मुझसे वो बयां नहीं होता।
छिड़ जाता है जब भी जिक्र उनका
महफ़िल में फिर मुझसे पीया नहीं जाता।
कब किसने किसको संभाला है यहाँ
माँ सा दूजा कोई नहीं होता।
वो साथ चले तो वक्त का पता नहीं चला
अरे वेकूफ़ी में वक्त का इल्म नहीं होता।
तुम नजर मिला लो तो इश्क़ हो जाए
बिना इस दर्द के अब गुजरा भी नहीं होता।hay
RSD