वो मिली और बैठी इतने करीब में
तन्हाई लिख गयी ताउम्र मेरे नसीब में.
दरिया कब हुई है किसी किनारे की?
मगर डूबते हैं वो इसी यकीं में.
RSD
वो मिली और बैठी इतने करीब में
तन्हाई लिख गयी ताउम्र मेरे नसीब में.
दरिया कब हुई है किसी किनारे की?
मगर डूबते हैं वो इसी यकीं में.
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