हुस्न ढला, तो वो घर बसा गयी
दिल टुटा तो मुझे अक्ल आ गयी.
ना रहा भेद जरा भी ख़ुशी और गम में
जिंदगी ऐसे-ऐसे रंग दिखा गयी.
दोस्त कह कर वो ले गए महफ़िल में
वहाँ उनको दुश्मनी याद आ गयी.
वो मिली तो मुझे जान, जानू, दुनिया बना गयी.
सब बना के, शौहर किसी और को बना गयी.
RSD