अब बारिशों का मौसम वैसा न रहा
रूह, रूह न रही, दिल, दिल न रहा.
सुखाता नहीं हूँ जिस्म को अब भींगने के बाद
दुप्पटे पे उनके मेरा हक़, अब वो हक़ न रहा.
RSD
अब बारिशों का मौसम वैसा न रहा
रूह, रूह न रही, दिल, दिल न रहा.
सुखाता नहीं हूँ जिस्म को अब भींगने के बाद
दुप्पटे पे उनके मेरा हक़, अब वो हक़ न रहा.
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