काला काजल तेरी आँखों में उतर कर किसी का ख्वाब बन गया
जो भी मिला, मिलकर तुझसे, तेरा गुलाम बन गया.
तेरे पावों को चूमकर इतराते हैं धूल-कण
तेरी गालों पे बरस कर, बादल झूम रहा.
तेरी बलखाती कमर पे सारा जहाँ थम गया.
कौन जी रहा है जिंदगी, एक नाम तो बता
तूने जिससे भी मुख फेरा, वो ख़ाक बन गया.
तू खोले अपनी खिड़की या किवाड़ तो करने को दीदार
तेरे दर पे आके सारा जमाना बैठ गया.
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