तपिश बढ़ी धरती की तो बादल छा गए
बरसने ही वाले थे की हवा उन्हें उड़ा गए.
यूँ ही रह गयी प्यास मेरे अधरों पे
नजरें लड़ाते-लड़ाते वो मेहँदी रचा गए.
RSD
तपिश बढ़ी धरती की तो बादल छा गए
बरसने ही वाले थे की हवा उन्हें उड़ा गए.
यूँ ही रह गयी प्यास मेरे अधरों पे
नजरें लड़ाते-लड़ाते वो मेहँदी रचा गए.
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