तेरी शर्म तुझपे ही नहीं मुझपे भी भारी है
हो जाने दे कोई गुनाह, इस मोड़ पे वो जरुरी है.
तू कल खंजर भी उतार दे तो कोई गम ना होगा
आज किओ रात बस तेरी ही जी हुजूरी है.
RSD
तेरी शर्म तुझपे ही नहीं मुझपे भी भारी है
हो जाने दे कोई गुनाह, इस मोड़ पे वो जरुरी है.
तू कल खंजर भी उतार दे तो कोई गम ना होगा
आज किओ रात बस तेरी ही जी हुजूरी है.
RSD