रौशनी को ही ढूंढते रहोगे या जलाओगे चिरागों को भी
मोहब्बत ही करते रहोगे या बनाओगे किसी को अपना भी.
बहुत मुश्किल है काटना अकेली ये जिंदगी
जवानी तो गुजर गयी भटकने में, भटकोगे क्या भुढ़ापे में भी.
RSD
रौशनी को ही ढूंढते रहोगे या जलाओगे चिरागों को भी
मोहब्बत ही करते रहोगे या बनाओगे किसी को अपना भी.
बहुत मुश्किल है काटना अकेली ये जिंदगी
जवानी तो गुजर गयी भटकने में, भटकोगे क्या भुढ़ापे में भी.
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