अभी रात का सफर है, दिन की क्या आरजू करें
खंडहरों में रहने वाले किसी से क्या गुफ्तुगू करें?
ख्वाब भी नहीं आते, इस कदर मुफलिसी है
जिंदगी को अब और कैसे बेआबरू करें।
मिला ना ऐसे कोई की करें दिल के हालत बयान
सभी की हसरतें थी की हम बस जी-हजूरी करें।
RSD
अभी रात का सफर है, दिन की क्या आरजू करें
खंडहरों में रहने वाले किसी से क्या गुफ्तुगू करें?
ख्वाब भी नहीं आते, इस कदर मुफलिसी है
जिंदगी को अब और कैसे बेआबरू करें।
मिला ना ऐसे कोई की करें दिल के हालत बयान
सभी की हसरतें थी की हम बस जी-हजूरी करें।
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