मेरा दर्द मेरी राहों का काटा बन रहा
प्यास मेरी मंजिल को धुंधला कर रहा.
आँखे इस कदर चौंधियाने लगी हैं
की ये शहर मुझे मेरे गावं से अलग कर रहा.
शोहरत की चाहत पगडंडियों पे चलके
तो मिलती नहीं।
और इनके सड़कों पे भागते मेरे पाँव
और ये थकान, मुझे मेरे ख्वाबों से दूर कर रहा.
RSD