उनकी जुल्फ के कई हैं राहगीर यहाँ
पर कोई बसा न पाया अपनी जागीर यहाँ।
ग़ालिब-से-मीर तक, सबकी रही एक ही तकदीर यहाँ
कोई बंधा जंजीर से, कोई बनके रहा बजीर यहाँ।
वो तो सेज से, सेज पे ही रही यहाँ
मैं बैठा रहा ताउम्र लिए एक तस्वीर यहाँ।
RSD
उनकी जुल्फ के कई हैं राहगीर यहाँ
पर कोई बसा न पाया अपनी जागीर यहाँ।
ग़ालिब-से-मीर तक, सबकी रही एक ही तकदीर यहाँ
कोई बंधा जंजीर से, कोई बनके रहा बजीर यहाँ।
वो तो सेज से, सेज पे ही रही यहाँ
मैं बैठा रहा ताउम्र लिए एक तस्वीर यहाँ।
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