दिल में एक जोश हैं,
और धड़कनो में एक उमंग।
आजा, तुझे दे दूँ,
ए आसमां, एक नया रंग।
तोड़ दूँ तेरी बेड़ियां,
या फिर तोड़ दूँ ये सारे बंधन।
परतंत्र इस धरती पे अब कोई,
अगर फूल खिले,
तो हो उसका स्वतंत्र जीवन।
परमीत सिंह धुरंधर
दिल में एक जोश हैं,
और धड़कनो में एक उमंग।
आजा, तुझे दे दूँ,
ए आसमां, एक नया रंग।
तोड़ दूँ तेरी बेड़ियां,
या फिर तोड़ दूँ ये सारे बंधन।
परतंत्र इस धरती पे अब कोई,
अगर फूल खिले,
तो हो उसका स्वतंत्र जीवन।
परमीत सिंह धुरंधर