इसलिए हमने पटना को राजधानी बना लिया


दिल्ली दूर थी,
इसलिए हमने पटना को राजधानी बना लिया.
सुकून तो गमे-शराब,
और हुश्ने – शबाब दोनों में हैं.
मेरी किस्मत ख़राब थी,
इसलिए खाके-राख पे एक दीप जला दिया.
गरीबों और औरतों के लिए लड़ने वालो ने,
कुछ इस कदर उनकी मज़बूरी और बेबसी को छला हैं,
की दूसरों की औरतों की करवा-चौथ के बेड़िया तोड़कर,
उनके जिस्म को अपने नीचे बिछा दिया।
दिल्ली दूर थी,
इसलिए हमने पटना को राजधानी बना लिया.

 

 

 

परमीत सिंह धुरंधर

करवा-चौथ


मैं दीवाना बहुत था जिन नजरों पे,
वो कातिल बड़ी थी अदाओं से.
मैं ज्यूँ – ज्यूँ उनके नजदीक आता गया,
वो पकड़ती गयीं मुझे हर नब्ज से.
मैं जन्नत समझ के जिसे रुक गया.
वो इतरा -इतरा के फिर,
रखने लगी मुझे ठोकरों में.
मैं सह गया हर सितम जिसकी मोहब्बत में,
उसने करवा-चौथ रखा किसी और के नाम में.

परमीत सिंह धुरंधर