दिल्ली दूर थी,
इसलिए हमने पटना को राजधानी बना लिया.
सुकून तो गमे-शराब,
और हुश्ने – शबाब दोनों में हैं.
मेरी किस्मत ख़राब थी,
इसलिए खाके-राख पे एक दीप जला दिया.
गरीबों और औरतों के लिए लड़ने वालो ने,
कुछ इस कदर उनकी मज़बूरी और बेबसी को छला हैं,
की दूसरों की औरतों की करवा-चौथ के बेड़िया तोड़कर,
उनके जिस्म को अपने नीचे बिछा दिया।
दिल्ली दूर थी,
इसलिए हमने पटना को राजधानी बना लिया.
परमीत सिंह धुरंधर