खेल


ये इश्क़ – मोहब्ब्बत क्या है,
बस दो जिस्म का खेल.
हम खेले तो धोखा,
और वो खेले तो प्रेम।
वो छोड़े,
तो हम में ही कुछ कमी है,
और हम छोड़ दें,
तो हमें नहीं है उनकी क़द्र।

परमीत सिंह धुरंधर