जब सारी दुनिया गाती है,
अहिंसा परमो धर्म:.
मैं तिब्बत – तिब्बत गाता हूँ,
अकेला रह जाता हूँ
भीड़ छट जाती है, धीरे – धीरे,
मैं अकेला ही गाता हूँ.
कम्युनिष्टय JNU के,
सारे मौन हो जाते हैं.
मूक – बधिर बन के, फिर वो
गांधी के बन्दर से बन जाते हैं.
जब कम्युनिष्टय JNU के चिल्लाते हैं,
फासीबाद से डरना नहीं।
तब मैं चंद्रशेखर -चंद्रशेखर चिल्लाता हूँ,
अकेला रह जाता हूँ.
आइसा-SFI सब भाग जाते हैं,
मैं अकेला ही चिल्लाता हूँ.
परमीत सिंह धुरंधर