तो समझो


दिल जो उमंगें लेने लगे.
तो समझो की जवानी है.
दिल जो बैठ जाए.
तो समझो कोई कहानी है.
दिल जो,
गुजरने लगे मयखाने से,
तो समझो,
कोई आँचल बदलने लगा है.
दिल जो,
सवरने लगे गुसलखाने में,
तो समझो,
कोई सपनो में आने लगा है.

परमीत सिंह धुरंधर