दुल्हन


भोर भइल बा बालम मोहब्बत में,
शाम होखे दीं तानी शरारत से.
रात होते -होते दिल भुला जाई,
का -का छुटल बा एकर मायका में.
डोली चढ़त त दिल कापत रहल की,
कैसे कटी जिन्दगी माई बिना ससुरा में.
अब त दिल ई कहता की काहे न तानी,
जल्दी आईनी रउरा ई अंचरा में।
प्यार जागल बा बालम,
तन-मन में जउन रउरा छुवन से.
तानी देखे दीं,
जी भर के दर्पण में.
रात होते -होते मन मचले लगी,
रउरे बाहों की दुनिया में.

परमीत सिंह धुरंधर

In these lines, I am trying to imagine what a girl is saying to her husband after her first night. What was her feeling when she left her parent’s house to join a new family.