पिता तुम्हारी चरणों में है, दुनिया में जन्नत जिसका नाम है.
पिता तुमसे बिछुड़कर अब मेरा जीवन धूल सामान है.
कहाँ मैं फिर उड़ा कभी, कहाँ अब वो मेरा आसमान है?
दाना तो चुग ही लेता हूँ, पर कहाँ अब वो मेरी उड़ान है?
पिता तुम्हारी चरणों में है, दुनिया में जन्नत जिसका नाम है.
एक -एक करके हार रहा हूँ, हर युद्ध मैं बिना आपके रण में
विफल हो रही है मेरी हर चेष्टा, अटल मेरा परिणाम है.
विनती अब बस इतनी ही है, अगर सुन रहा है विधाता
हर जन्म में पुत्र आपका रहूं, हृदय की बस ये ही पुकार है.
गोद में तुम्हारे जो अमृत मिला, वो कंठ पे बन के अनंत प्यास है.
पिता तुम्हारी चरणों में है, दुनिया में जन्नत जिसका नाम है
Rifle Singh Dhurndhar