प्रयास कर


प्रयास कर, ए मानव,
प्रयास कर.
विपरीत है परिस्थिति,
तो कुछ खास कर.
प्रयास कर, ए मानव,
प्रयास कर.
तू तरल नहीं,
जो ऊंचाई से फिसले.
तू सरल नहीं,
जो उनके अंगो पे बहके.
मिला है तुझे योवन,
तो चट्टानों पे प्रहार कर.
प्रयास कर, ए मानव,
प्रयास कर.
माना, तेरी किस्मत में,
सुबहा नहीं,
माना, अंधकारों में,
कोई तेरे पास नहीं.
माना, ठोकरों ने तौला है तुझे,
माना, नहीं बची हैं तेरी साँसे.
पर आखिरी क्षणों तक,
बनके धुरंधर, हुंकार भर.
प्रयास कर, ए मानव,
प्रयास कर.
रणभूमि सजी है,
तो क्या तेरा अपना-पराया.
हर तीर मिटा सकता है,
तेरा अपना साया।
तो हर बढ़ते कदम पे अपने,
खुद ही जय-जय कार कर.
प्रयास कर, ए मानव,
प्रयास कर.

परमीत सिंह धुरंधर