काली-काली मेरी भैसें,
हैं इतना जवान।
छोड़ दूँ तो लूट लेंगी,
रात भर में गावं।
खूब खिलता हूँ,
तेल पिलाता हूँ।
रखता हूँ इनका,
कितना धयान।
काली-काली मेरी भैसें,
हैं इतना जवान।
सारे हैं दीवाने मेरी भैस के,
पंच, प्रमुख से पहलवान।
सभी है इसकी आँखों के कायल,
दोस्त, दुश्मन से अनजान।
काली-काली मेरी भैसें,
हैं इतना जवान।
परमीत सिंह धुरंधर