मोह


जिंदगी से मुझे मोह तब हुआ,
जब तेरी गोद में मैं खेला, पिता .
और जिंदगी से मोह भी तब टूटा,
जब तुझे काँधे पे ले के चला.

परमीत सिंह धुरंधर