जीजाबाई


जो लिख रहें हैं कलम-वाले,
पत्नियां बदलती हैं समाज को.
वो क्या समझेंगें, कैसे पला था,
जीजाबाई जी ने, शिवा जी महाराज को.

परमीत सिंह धुरंधर