छठी-व्रतियों को हैं बस आपकी प्रतीक्षा


हे प्रभु भक्त आपका
आपको है पुकारता।
सारा अम्बर आपका
है अन्धकार में डूबा हुआ.
कहिये अरुण-देव से
वेग दें अश्वों को
छठी-व्रतियों को हैं
बस आपकी प्रतीक्षा।

निर्जला – व्रत ये
समस्त मानव के कल्याण को.
हलक – अधर – कंठ – प्राण
नस-नस, छठी-व्रतियों का सूख रहा.
कहिये अरुण-देव से
वेग दें अश्वों को
छठी-व्रतियों को हैं
बस आपकी प्रतीक्षा।

परमीत सिंह धुरंधर

हर साल मैं अर्घ्य सूर्य-देव को चढ़ाता रहूं ए छठी – मैया


साकार मेरे सारे स्वप्न हो ए छठी – मैया
सुख हो, समृद्धि हो घर में,
निरंतर आपका नाम हो ए छठी – मैया।
कुछ भी हो या कुछ ना हो मेरे पास
बस आपका एक आस हो ए छठी – मैया।
नस – नस में जब तक रहे प्राण
आता रहूँगा आपके घाट ए छठी – मैया।
माटी चाहे जो भी मिले
बस आपका आशीष मिलता रहे हमें ए छठी – मैया।
हर साल मैं छठ मानता रहूं ए छठी – मैया
हर साल मैं अर्घ्य सूर्य-देव को चढ़ाता रहूं ए छठी – मैया।

परमीत सिंह धुरंधर

छठी-व्रतियों को मिले आपका दिव्या – दर्शन


उदित हो ए सूर्य नारायण
छठी-व्रतियों को मिले आपका दिव्या – दर्शन।
उदित हो ए सूर्य नारायण
छठी-व्रतियों को मिले आपका शुभ – दर्शन।
जान – जान का हो कल्याण
लगे जल – अन्न का फिर भण्डार।
धरती सज कर फिर खिल उठे
बनकर एक नई उपवन।
उदित हो ए सूर्य नारायण
छठी-व्रतियों को मिले आपका दिव्या – दर्शन।
उदित हो ए सूर्य नारायण
छठी-व्रतियों को मिले आपका दिव्या – दर्शन।

पुष्प सा विकसित हो हर एक नन्हा शिशु
आपके किरणों से पाके वर्ज सा यौवन।
ममातृत्व- वात्सल्य का यूँ ही चलता रहे
अनंत तक इस धरती पे ये मिलन।
उदित हो ए सूर्य नारायण
छठी-व्रतियों को मिले आपका दिव्या – दर्शन।
उदित हो ए सूर्य नारायण
छठी-व्रतियों को मिले आपका शुभ – दर्शन।

परमीत सिंह धुरंधर