हमार अदा पे सनम तू ऐसे ना बिछलSअ हाँ
चार दिन के जवानी बा, तू ऐसे मत छछलSअ हाँ.
एगो हमार नथुनिया ही बा सवा लाख के
बात – बात पे ऐसे मत तू जेब टटोलSअ हाँ.
सारा हमार आशिक़ बारन हमरा खेत में मजदूर
यूँ चारपाई पे हमरा तू हर रात मत आवSअ हाँ.
परमीत सिंह धुरंधर