ना मोक्ष चाहता हूँ, ना भोग चाहता हूँ,
ना सुख कोई, ना सवर्ग,
ना फिर मानव जीवन चाहता हूँ.
ना अब छीनो पुत्रों से उनके पिता,
ना मिले फिर किसी को,
ए विधाता,
मैं जो ये दंश झेलता हूँ.
परमीत सिंह धुरंधर
The hotcrassa ia about me, my poems, my views, my thinking and my dreams.
ना मोक्ष चाहता हूँ, ना भोग चाहता हूँ,
ना सुख कोई, ना सवर्ग,
ना फिर मानव जीवन चाहता हूँ.
ना अब छीनो पुत्रों से उनके पिता,
ना मिले फिर किसी को,
ए विधाता,
मैं जो ये दंश झेलता हूँ.
परमीत सिंह धुरंधर