छपरा


खुदा तेरी चाहत का ये कैसा मिसरा है
लिखता हूँ तेरा नाम और लिख जाता छपरा है.
किस दर पे तेरे आऊं सजदा करने को
तेरे दर की कोई भी राह लूँ, वो ले जाती बस छपरा है.

RSD

मेरे देश की धरती


मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे – मोती
मेरे देश की धरती।
सींचे जिसको गंगा-जमुना, और कावेरी लहराती
मेरे देश की धरती।
जहाँ पतली कमर तरकस सी, नैनों से बाण चलाती
मेरे देश की धरती।
माँ के तन पे फटी है साड़ी, फिर भी माँ मुस्काती
मेरे देश की धरती।
पूजते हैं बैल – गोरु, और गाय रोटी पहली खाती
मेरे देश की धरती।
भयभीत होकर जहाँ से लौटा सिकंदर, ऐसी बिहारी छाती
मेरे देश की धरती।
जहाँ नानक-कबीर के दोहों को, दादी-नानी हैं गाती
मेरे देश की धरती।
जहाँ पग-पग पे प्रेम मिले, पल-पल में मिले थाती
मेरे देश की धरती।
सौ पुश्तों तक लड़े शिशोदिया, रंगने को बस माटी
मेरे देश की धरती।
जहाँ धूल में भी फूल खिले, पत्थर नारी बन जाती
मेरे देश की धरती।
सर्वश्व दान करके, बन गए भोलेनाथ त्रिलोकी
मेरे देश की धरती।
पिता के मान पे श्रीराम ने कर दी गद्दी खाली
मेरे देश की धरती।
भगीरथ के एक पुकार पे, स्वर्ग से गंगा उतरी
मेरे देश की धरती।

मिट गए हूण टकरा के स्कंदगुप्त से, किनारो पे लहरे मिटती
मेरे देश की धरती।
जहाँ हर दिल में गणपति, और नित्य होती उनकी आरती
मेरे देश की धरती।
इस मिटटी की यही बात है यारों, यहाँ मिट जाती हर दूरी
मेरे देश की धरती।
काँधे पे जहाँ हल शोभित और हाथों पे चमकती राखी
मेरे देश की धरती।
खेत-खलिहान, बँसवारी से पनघट, नैनों से नैन लड़ाती
मेरे देश की धरती।
पतली-कमर, बाली-उम्र, डगर-डगर, चढ़ती जवानी, इठलाती
मेरे देश की धरती।
कितना लिखूं,लिखता रहूं, खुशबू फिर भी नहीं मिटती?
मेरे देश की धरती।

RSD

USA-India Friendship


You are from America.
I am from India.
Let’s make the bridge stronger
To connect America to India,
India to America.

You are from America.
I am from India.
Let’s play the chess
with a queen from America
And a king from India.

You are from America
I am from India.
Let’s play the tennis
With Serena from America
And Sania from India.

Rifle Singh Dhurandhar

पहला पाठ इतिहास में


इतिहास में सोनू सूद जी आपका नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा
मेरे अपने बच्चों को पहला पाठ आपके ही नाम का पढ़ाया जाएगा।

परमीत सिंह धुरंधर 

खुशबु मेरी मिटटी की


मगरूर जमाना क्या समझे खुशबु मेरी मिटटी की?
जहाँ धूल में फूल खिलते हैं बस पाके दो बूंदें पानी की.

मगरूर जमाना क्या समझे खुशबु मेरी मिटटी की?
एक बूढ़े ने बदल दी थी सनकी सियासत दिल्ली की.

परमीत सिंह धुरंधर

उसकी आँखों में क्या दर्द दे गए?


जिसे खेत में लूट कर तुम नबाब बन गए
उससे पूछा क्या कभी?
उसकी आँखों में क्या दर्द दे गए?
एक चिड़िया
जिसने अभी सीखा नहीं था दाना चुगना
तुम दाने के बहाने जाल डालके
उसका आसमान ले गए.
कई रातों तक देखती थी जो ख्वाब
घोनषलॉन से निकल कर एक उड़ान भरने का
उसके पंखों को बाँध कर
तुम उसका वो सारा ख्वाब ले गए.

परमीत सिंह धुरंधर

सरदार पटेल का पुनःजन्म


कल रात मेरे सपने में सरदार पटेल आये और बोले इस जन्म में वो ही अमित शाह के रूप में भारत की सेवा को अवतरित हुए हैं. कश्मीर का जो काम अधूरा रह गया था वो इस बार पूरा कर के जायेंगें।
मैंने जैसे ही पूछा की नेहरू जी भी अवतरित हुए होंगे क्यों की वो कैसे ये देख सकते हैं? लेकिन सरदार पटेल कुछ बोलते उसके पहले ही वो अदृश्य हो गए और मेरी निंद्रा टूट गई. अब मन और भी व्यथित है की आखिर वो मेरे ही सपने में क्यों आएं? या ऐसा है की वो हर भारतीय के सपने में आये या आ रहे है और ये बात बता रहे हैं.

परमीत सिंह धुरंधर

फिर बिहार देखिये


शहर देखिये, सुलतान देखिये,
अगर इतिहास देखना है तो,
फिर बिहार देखिये।

शर्म देखिये, सौंदर्य देखिये,
अगर यौवन देखना है तो,
फिर बिहार देखिये।

बलवान देखिये, पहलवान देखिये,
अगर पौरष देखना है तो,
फिर बिहार देखिये।

कलियाँ देखिये, कांटे देखिये,
अगर फूल देखना है तो,
फिर बिहार देखिये।

मुंबई देखिये, दिल्ली देखिये,
अगर किसान देखना है तो,
फिर बिहार देखिये।

काश्मीर देखिये, कन्याकुमारी देखिये,
अगर भारत देखना है तो,
फिर बिहार देखिये।

गीता पढ़िए, कुरान पढ़िए,
अगर इंसानियत पढ़नी है तो,
फिर बिहार देखिये।

नेहरू पढ़िए, गांधी पढ़िए,
देश को जानना है तो,
फिर राजेंद्र बाबू पढ़िए।

 

परमीत सिंह धुरंधर

लड़की वो थी केरला की


लड़की वो थी केरला की,
कर गयी हमसे चालाकी।
आँखों से पिलाया हमको,
और बाँध गयी फिर राखी।

लड़की वो थी पंजाब की,
पूरी – की – पूरी शहद में लिपटी।
बड़े – बड़े सपने दिखलायें,
और फिर बोल गयी हमें भैया जी.

लड़की वो थी बंगाल की,
कमर तक झुलाती थी चोटी।
शरतचंद्र के सारे उपन्यास पढ़ गई,
सर रख के मेरे काँधे पे.
और आखिरी पन्ने पे बोली,
तय हो गयी है उसकी शादी जी.

लड़की वो थी हरियाना की,
चुस्त – मुस्त और छरहरी सी.
हाथों से खिलाती थी,
बोलके मुझको बेबी – बेबी,
और बना लिया किसी और को,
अपना हब्बी जी.

लड़की वो थी दिल्ली की,
बिलकुल कड़क सर्दी सी.
लेकर मुझसे कंगन और झुमका,
बस छोड़ गयी मेरे नाम एक चिठ्ठी जी.

 

परमीत सिंह धुरंधर

बच्चों को सेरेलेक्स और फॉरेक्स से राहत है


ऐसा नहीं है की,
मेनका एक अपवाद है.
आज भी,
भारतीय नारी को बच्चे से ज्यादा,
विश्व – सुंदरी का ख़िताब,
और अच्छे फिगर की चाहत है.
और उनके बच्चों को,
सेरेलेक्स और फॉरेक्स से राहत है.

कौन कहता है की?
भारत की धरती पे,
नारियाँ अपने बच्चों को,
मोहब्बत, ममता और मातृत्व से पोषित करती हैं.
बच्चे बिलखते हैं,
और नारियाँ अपने जिस्म में दूध को संचित करती हैं.

कैसे कोई नारी सिखलाएगी?
अपनी संतान को नारी का सम्म्मान करना।
जब नारी को खुद रिश्तों से ज्यादा जिस्म,
और दौलत की चाहत है.

 

परमीत सिंह धुरंधर