We can make powerful computers
We can go to the moon and the Jupiter
But we are lacking kindness
And the appreciation for our mother nature.
Parmit Singh Dhurandhar
We can make powerful computers
We can go to the moon and the Jupiter
But we are lacking kindness
And the appreciation for our mother nature.
Parmit Singh Dhurandhar
इंसान को इंसान का, बस चाहिए यहाँ साथ,
फिर क्या वक्त अच्छा, और क्या है वक्त ख़राब?
पाप-पुण्य, धर्म-अधर्म, सब है इसके बाद.
धन-दौलत, कर्म-ज्ञान, बिन इसके सब है बेकार।
इंसान को इंसान का, बस चाहिए यहाँ साथ.
फिर क्या वक्त अच्छा, और क्या है वक्त ख़राब?
परमीत सिंह धुरंधर
पापी मन,
नारी के तन,
में कितना,
उलझा है.
भूल के,
अपने माता-पिता,
जुल्फों में,
लेटा है.
परमीत सिंह धुरंधर
मानव – मन, कितना चंचल,
छन से पल में, पल से छन में,
कभी इस उपवन से उस उपवन,
कभी इस वन से उस वन,
करता है भ्रमण,
मानव – मन.
न प्यास मिटे, न भूख मिटे,
न साध्य सधे, न लक्ष्य मिले,
कसता जाता है, नित-प्रतिदिन,
प्रतिदिन – नित्य एक नया,
लोभ का बंधन,
मानव – मन.
गुरु की बगिया में, प्रेमिका की यादें,
प्रियेशी की बाँहो में, गुरु की तस्वीरें,
उलझता है, मचलता है,
भटकता है, यूँ हीं, लक्ष्यहीन
सारा जीवन, धुरंधर सिंह का,
मानव – मन.