फैसला ना करो कभी खुदा के डर से, दी हैं जिंदगी को तो एतबार रहो
डूबने नहीं देगा वो कश्तियाँ तुम्हारी, मगर तुम भी तो हाथ में पतवार रखो.
RSD
These are just related to life as philosophy.
फैसला ना करो कभी खुदा के डर से, दी हैं जिंदगी को तो एतबार रहो
डूबने नहीं देगा वो कश्तियाँ तुम्हारी, मगर तुम भी तो हाथ में पतवार रखो.
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अभी रात का सफर है, दिन की क्या आरजू करें
खंडहरों में रहने वाले किसी से क्या गुफ्तुगू करें?
ख्वाब भी नहीं आते, इस कदर मुफलिसी है
जिंदगी को अब और कैसे बेआबरू करें।
मिला ना ऐसे कोई की करें दिल के हालत बयान
सभी की हसरतें थी की हम बस जी-हजूरी करें।
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ए ग़ालिब बता कैसे काटे हम ये जिंदगी?
अधरों पे प्यास, मयखाना पास और जेब तंग हैं.
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रौशनी को ही ढूंढते रहोगे या जलाओगे चिरागों को भी
मोहब्बत ही करते रहोगे या बनाओगे किसी को अपना भी.
बहुत मुश्किल है काटना अकेली ये जिंदगी
जवानी तो गुजर गयी भटकने में, भटकोगे क्या भुढ़ापे में भी.
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Treat me as a sky,
Where you want to reach
To have your life.
Treat me as a sky
Where you want to spread your wings
To fly and not just to survive.
Don’t treat me as a delicate flower
Or weather.
Don’t treat me like a night.
Just because you need a nap.
Treat me like a morning.
With this, your day can begin.
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प्रयत्न कर
— ना रत्न के लिए
— ना स्वर्ण के लिए
— ना आभूषण के लिए
— ना यौवन के लिए
— ना आलिंगन के लिए
बस एक रण के लिए.
रण कर
— ना जीत के लिए
— ना रीत के लिए
— ना प्रीत के लिए
— ना मनमीत के लिए
— ना अतीत के लिए
बस कर्तव्य के लिए.
कर्तव्य कर
— ना प्रसंशा के लिए
— ना अनुसंशा के लिए
— ना विशेषता के लिए
— ना महानता के लिए
— ना सत्ता के लिए
बस मानवता के लिए.
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ना गूढ़ रहो, ना मूढ़ रहो
मानव हो तो सरल रहो.
है हाथ में कलम तो
सत्य को साकार करो.
ना तो हल को धारण
कर किसान बनो.
हो अगर वंचित दोनों से
तो तन का श्रम से श्रृंगार करो.
जीवन का सार यही
गीता में प्रमाण यही
जय-विजय की कामना से रहित
अपने पथ का, अपनी मंज्ज़िल तक
स्वयं निर्माण करो.
अन्यथा भगीरथ सा
अटल हो कर, अनंत तक
अंतिम प्रयास करो.
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है जिंदगी कितनी खूबसूरत अभी इन्हे पता नहीं है
पिता के पथ के पत्थरों का जिन्हे अभी तक पता नहीं है.
आँखों की जिनकी मीठी नींद को माँ कई रात सोइ नहीं है.
माँ के चरणों में जिन्होंने सर अभी तक झुकाया नहीं है.
है जिंदगी कितनी खूबसूरत अभी इन्हे पता नहीं है.
क्या लिखें शब्दों में तुम्हे, आँखों ने तुम्हारे बाद कोई देखा नहीं है?
प्यासे हैं वो ही अधर, जिन्होंने शिव भांग आपका चखा नहीं है.
है जिंदगी कितनी खूबसूरत अभी इन्हे पता नहीं है.
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प्राप्त क्या करे इंसान जब प्यास अधरों पे हो?
गुनाह क्या करे इंसान जब जिंदगी किसी की बाहों में हो?
रहा भी ना जाए बिना सोये जब किसी की जुल्फों में
रहा भी न जाए जब किसी को थामे बाहों में
तो थके भी कैसे, जब सफर किसी के आगोस में हो?
दूर जाए भी तो क्या इंसान, जब संसार किसी के वक्षों पे हो?
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My dream is not to have a life in your arms,
My goal is to walk with you down the path.
My dream is not to hold you every night,
My goal is to synthesize vitamin D together.
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