एक चाँद आता है


अक्सर रातों में, मेरे ख़्वाबों में,
एक चाँद आता है, बादलों में.
वो करता है इसारे, जुल्फों को सवारें,
मैं देखता हूँ खुली पलकों से.
बदली के आर से, नैनों के तार से,
धड़कनो को मेरे, वो छू के जाता है.
एक चाँद आता है,
एक चाँद आता है.
रोसनी दुनिया की उसके आँखों से ,
चांदनी रातों की उसके आँचल से.
मैं तरपता हूँ, मैं तरसता हूँ,
जब उसका आँचल ढलक जाता है.
एक चाँद आता है,
एक चाँद आता है.
सोया नहीं मैं कितनी रातों से,
जागता हूँ यूँ ही उसकी राहों में.
सिमट आती हैं सारी हवाएँ,
चुने को उसके बदन को.
सज – सवर के जब वो निकलता है.
एक चाँद आता है,
एक चाँद आता है.

परमीत सिंह धुरंधर

कुत्ता और चाँद


कुत्ते दौड़ते हुए गलियों में,
उनका रूप चुराने को.
अम्बर पे चाँद हंस रहा,
देख अपने दीवानों को.
कुत्तों की किस्मत में नहीं,
चाँद से अपने मिल पाना।
ना चाँद के भाग्य में है,
इन कुत्तों जैसा कोई दीवाना।

परमीत सिंह धुरंधर

चाँद


कहते हैं की,
चाँद भी कभी-कभी मुश्किलों में आ जाता है,
जब आँगन में उसके अमावस छा जाता हैं.
बादलों के बीच उड़ने वाला,
तारों के बीच में मुस्कराने वाला,
उस एक रात, कहीं जाके छुप जाता हैं.

परमीत सिंह धुरंधर