शहर देखिये, सुलतान देखिये,
अगर इतिहास देखना है तो,
फिर बिहार देखिये।
शर्म देखिये, सौंदर्य देखिये,
अगर यौवन देखना है तो,
फिर बिहार देखिये।
बलवान देखिये, पहलवान देखिये,
अगर पौरष देखना है तो,
फिर बिहार देखिये।
कलियाँ देखिये, कांटे देखिये,
अगर फूल देखना है तो,
फिर बिहार देखिये।
मुंबई देखिये, दिल्ली देखिये,
अगर किसान देखना है तो,
फिर बिहार देखिये।
काश्मीर देखिये, कन्याकुमारी देखिये,
अगर भारत देखना है तो,
फिर बिहार देखिये।
गीता पढ़िए, कुरान पढ़िए,
अगर इंसानियत पढ़नी है तो,
फिर बिहार देखिये।
नेहरू पढ़िए, गांधी पढ़िए,
देश को जानना है तो,
फिर राजेंद्र बाबू पढ़िए।
परमीत सिंह धुरंधर