पप्पू जी हउअन हमार ड्राइवर
और पीया खलासी हो.
पप्पू जी हउअन हमार तेजतर्रार
और पीया अनाड़ी हो.
Rifle Singh Dhurandhar
पप्पू जी हउअन हमार ड्राइवर
और पीया खलासी हो.
पप्पू जी हउअन हमार तेजतर्रार
और पीया अनाड़ी हो.
Rifle Singh Dhurandhar
पिया निर्मोहिया ना समझे ला दिल के
कैसे समझाईं सखी अपना ई दिल के?
दिन भर बैठकी मारेला छपरा में
दहकत बा देहिया हमार सेजिया पे.
परमीत सिंह धुरंधर
अरे झूठे कहेला लोग इनके निर्मोही
पिया बारन धुरंधर इह खेल के.
बिना उठईले घूँघट हमार
अंग -अंग चुम लेहलन अपना बात से.
परमीत सिंह धुरंधर
पिया कहलन हमरा से रात में
छपरा घुमायेम तहरा के साथ में
खइया कचौड़ी गांधी चौक पे
और जलेबी, बैठ के हमरा हाथ से.
परमीत सिंह धुरंधर
बिगड़ैल हमार पीया एक नंबर के बदमाश
सासु कहस, “पतोहू तानी ठंढा कर अ आग”
हमसे ना सम्भले हमार ही जामल त
कैसे संभाली सासु राउर जामल हाँ?
पियक्कड़ हमार पीया एक नंबर के चसकल
सासु कहस, “पतोहू तानी कस के रख अ लगाम”
हमसे ना सम्भले हमार ही जामल त
कैसे संभाली सासु राउर जामल हाँ?
परमीत सिंह धुरंधर
जब से जवान भइल बारू
धनिया से धान भइल बारू।
पहिले रहलू तू बोरसी के आग
अब लहकत अलाव भइल बारू।
जब से जवान भइल बारू
धनिया से धान भइल बारू।
पहिले रहलू तू सरसो के तेल
अब ठंढा हिमताज भइल बारू।
परमीत सिंह धुरंधर
बाँध अ मत ऐसे जोबना ए गोरी
हाहाकार मच गइल बा देख तहार ढोंढ़ी।
आइल बारन छपरा के धुरंधर मैदान में
त आज तहार चोलिया रंगाई ए गोरी।
आरा – बलिया से बच गइलू
मगर आ गइलू नजरिया में
माहिर छपरा के धुरंधर के
त आज छपरा में नकिया छेदाइ ए गोरी।
अभी बाली बा उमर, येही पर त चढ़ी रंग
जतना उड़ेल बारू, उड़ ला
दाना जी भर के चुग ला
त आज पंखिया तहार कटाई ये गोरी।
परमीत सिंह धुरंधर
जब से जवान भइल बारू
धनिया से धान भइल बारू
पहिले धामिन रहलू तू
अब गेहुंअन भइल बारू।
डस अ तारु
खेता – खेता चढ़ के
खलिहान – बथान में
केंचुल छोड़तारु।
परमीत सिंह धुरंधर
बकरिया चरावे गइलन हमर सैया जी
बकरिया के पीछे हमें भूल गइलन जी.
कोई जाके ढूंढे कहाँ गइलन जी?
भरल जवानी में हमें छोड़ गइलन जी.
परमीत सिंह धुरंधर
चूड़ी संभालीं की पायल संभाली
चोली – चुनर में हलचल उठsता।
कहिया ले जोगाइन धन राजा के हम?
पडोसी रतिया के छप्पर लाँघsता।
कौगो चिठ्ठी आ पाती पठइनि
सुनी ए राजा, मन अब बाँध तुरsता।
का कहीं सखी, अब आपन परेशानी
जोबना भी अब गोद में किलकार मांगsता।
परमीत सिंह धुरंधर