हम तो हो गए हैं जुदा,
पर मन में बस तुम्ही हो.
इस कृष्णा की प्रिये,
बस राधा, केवल तुम्ही हो.
तीरों – अश्त्रों की गूंज में,
कुरुक्षेत्र की तपती भूमि पे,
मेरे ह्रदय और मस्तिक के,
हर अस्पंदन में तुम्ही हो,
इस कृष्णा की प्रिये,
बस राधा, केवल तुम्ही हो,
बस तुम्ही हो.
परमीत सिंह धुरंधर