बात – बात में खून बहाते हो,
चाँद लकीरों के नाम पे.
मेरा तो धर्म, मजहब, ईमान,
सब वहाँ है,
जहाँ वो अपने केसुओं को बिछा दें.
सबसे बड़ा धर्म माँ की गोद,
सबसे बड़ी इबादत,
महबूब की आगोश है.
इसके मिलने पे,
जन्नत-जहन्नुम का भेद मिट जाता है.
परमीत सिंह धुरंधर