कर्क राशि की वो लड़की


नसीब, दो ही हैं.
आवो, उन्हें बदल लें.
फिर भी, तुम्हे डर है.
तो ये वादा है,
दर्द तुम्हारें, मेरे।
और खुशियाँ मेरी,
सब तुम्हारी।
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आज फिर,
किसी से मोहब्बत हो गयी.
हाथों से दूर, आँखों से दूर,
ओठों से दूर, किस्मत से भी दूर,
मगर, फिर भीं उनकी चाह हो गयी.
कर्क राशि की वो लड़की,
इतनी ख़ास लगी.
मार्च में ही सेप्तेम्बर,
कर गयी.
आज फिर,
किसी से मोहब्बत हो गयी.
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यूँ तो निगाहें शरारत करेंगी,
मगर तुम मिलो तो पर्दा करेंगी।
जवाँ हसरते हैं, दबाऊं मैं कैसे,
वरना फिर मुझसे ही झगड़ा करेंगी।
लहराती हैं आँचल तुम्हारे लिए,
तुम्हारे लिए ही आँखें सवरतीं।
हर एक दरवाजे पे लगी हैं ये,
मगर तुम्हारे ही आहट से डरतीं।
यूँ तो साँसें पिघलती हैं रात दिन,
मगर तुम मिलो तो दुप्पट्टा करेंगी।
जवाँ हसरते हैं, दबाऊं मैं कैसे,
वरना फिर मुझसे ही झगड़ा करेंगी।

परमीत सिंह धुरंधर