दुल्हन


भोर भइल बा बालम मोहब्बत में,
शाम होखे दीं तानी शरारत से.
रात होते -होते दिल भुला जाई,
का -का छुटल बा एकर मायका में.
डोली चढ़त त दिल कापत रहल की,
कैसे कटी जिन्दगी माई बिना ससुरा में.
अब त दिल ई कहता की काहे न तानी,
जल्दी आईनी रउरा ई अंचरा में।
प्यार जागल बा बालम,
तन-मन में जउन रउरा छुवन से.
तानी देखे दीं,
जी भर के दर्पण में.
रात होते -होते मन मचले लगी,
रउरे बाहों की दुनिया में.

परमीत सिंह धुरंधर

In these lines, I am trying to imagine what a girl is saying to her husband after her first night. What was her feeling when she left her parent’s house to join a new family.

गुलाबो


ए गुलाबो, वो गुलाबो,
सुन गुलाबो तू जरा,
मेरी छमिया, मुझको छोड़ चली,
अब घर सम्भाल तू मेरा।
छोटे- छोटे मेरे बच्चे,
देख तुझी को अम्मा बोलें।
इनके मुख को ही देख के,
अब चूल्हा जला तू मेरा।
ए गुलाबो, वो गुलाबो,
सुन गुलाबो तू जरा,
मेरी छमिया, मुझको छोड़ चली,
अब घर सम्भाल तू मेरा।
बोलेगी तो नथुनी दिला दूँ,
ना तो बोलेगी तो हँसुली।
जो आये मन में, वो करना,
करूँगा ना, टोका – टोकी,
बस साँझ -सबेरे आके कर दे,
चूल्हा -चौकी तू मेरा।
मेरी छमिया, मुझको छोड़ चली,
अब घर सम्भाल तू मेरा।

 

परमीत सिंह धुरंधर

मुह-दिखाई


ऐसे नाहीं,
वैसे नाहीं,
ए राजा जी.
पाहिले कुछु त,
चढ़ाई हमपे,
ए राजा जी.
ए ने नाहीं,
वो ने नाहीं,
ए राजा जी.
पाहिले कुछु त,
दिखाई हमके,
ए राजा जी.
मत कुछ सिखाई,
ना बाताई,
ए राजा जी.
पाहिले रखीं,
एहिजा मुहवा-दिखाई,
ए राजा जी.

परमीत सिंह धुरंधर