देहिया गुलाबी करके
नयना शराबी करके
बालाम परदेशी हो गए.
मनवा के गाँठ खोल के
चिठ्ठी – आ – पाती पढ़ के
बालाम परदेशी हो गए.
अंग – अंग पे निशानी दे के
चूल्हा-चुहानी दे के
बालाम परदेशी हो गए.
मुझको बेशर्म करके
लाली और मेहँदी हर के
बालाम परदेशी हो गए.
मुझसे छुड़ा के मायका
मुझको दिला के चूड़ियाँ
बालाम परदेशी हो गए.
करवट मैं फेरूं रात भर
सुनकर देवरानी की चुहल
बालाम परदेशी हो गए.
Rifle Singh Dhurandhar