20 years of friendship: Lalya-Pistoliyaa


मैं
मय हो जाता 
तू अगर 
मेरा ख़ास नहीं होता।
भीड़ तो बहुत है 
इस बाजारे-जहाँ में दोस्त 
मगर फिर अपनी दोस्ती का 
ये अंदाज नहीं होता। 
गुफ्तुगू करने के लिए बेक़रार है कई 
मगर कोई तुझसा भी दिल के 
करीब नहीं आता.

Related to my journey through the College of Agriculture, Pune.

परमीत सिंह धुरंधर

Life goes like la-la la-la lu


The whole life goes like la-la la-la lu
Don’t worry and don’t try glue.
You cannot change anything except your path
But don’t keep changing it every night
By hoping something out of the blue.

 

Parmit Singh Dhurandhar

 

जिस पे रख देती थी वो अपना दुप्पटा


वो क्या समझेंगें इश्क़ को?
जिनकी उम्र गुजर गयी.
हमारी जवानी तो बंध कर रह गयी,
कालेज के उस दीवार से.
जिससे चिपक गयी थी वो सहम के,
या शायद शर्म से,
जब थमा था हमने उन्हें अपने बाँह में.
वो क्या समझेंगें इश्क़ को?
जिन्होंने प्राप्त कर लिया महबूब के जिस्म को,
हमारी तो नजर टिकी रह गयी,
आज तक कालेज के उस दिवार पे.
जिस पे रख देती थी वो अपना दुप्पटा,
जब कसता था मैं उन्हें अपनी बाँह में.

 

परमीत सिंह धुरंधर

क्षत्राणी का दूध और भगवान् शिव का आशीर्वाद प्राप्त है मुझे


बस गगन के वास्ते हो राहें मेरी,
फिर चाहे आमवस्या में हो या राहें पूर्णिमा में।
उम्र भर चाहे ठोकरों में रहूँ, कोई गम नहीं,
मगर मंजिलें मेरी राहों की हो आसमाँ में।
तारें चाहें तो छुप लें,
चाँद चाहे तो अपनी रौशनी समेट ले.
हो प्रथम स्वागत चाहे अन्धकार में मेरा,
मगर प्रथम चुम्बन उषा का हो आसमाँ में.
पाला -पोसा गया हूँ छत्रसाया में धुरंधरों के,
तो क्यों ना अभिमान हो मुझे?
लहू तो सभी का लाल है यहाँ,
मगर एक इतिहास खड़ा है मेरे पीछे।
यूँ ही नहीं तेज व्याप्त है मेरे ललाट और भाल पे,
क्षत्राणी का दूध और भगवान् शिव का
आशीर्वाद प्राप्त है मुझे।
मेरा अपमान क्या और सम्मान क्या भीड़ में?
जब तक मेरे तीरों का लक्ष्यभेदन हैं आसमाँ में.
अंक और केसुओं की चाहत में रेंगते हैं कीड़े भी,
फिर मैं क्या और और अफ़सोस क्यों ?
जब तक लहराता है मेरा विजय-पताका आसमाँ में.

 

परमीत सिंह धुरंधर

Sitaramam के चेले हैं


Sitaramam के चेले हैं,
मत समझों की थकेले हैं.
धुंआधार बारिस में भी,
बिना छतरी के निकले हैं.
Alberts -Lodish की किताबों में,
Ramachandran plot पढ़ जाते थे.
Hitachi Spectrophotometer पे रखके,
DNA जेल दौड़ाते थे.
सुरेश, नाटू, गणेश, गलांडे के,
रेट-रटाये तोते हैं.
Sitaramam के चेले हैं,
मत समझों की थकेले हैं.
Simple -Simple theorem को,
complex कर के बताते हैं.
सुलझी हुई जिंदगी को,
कठिन -उलझा के रखते हैं.
शौक से Science में आएं हैं.
शौक से Science करते हैं.
Sitaramam के चेले हैं,
मत समझों की थकेले हैं.

In the memory of Prof. Sitaramam, University of Pune.

 

परमीत सिंह धुरंधर

किस्मत


समुन्दर ने भी आजमाई अपनी किस्मत मेरी रेखाओं से,
उसका किनारा तो नहीं बढ़ा, मेरी रेखाएं बढ़ती जा रही है.

 

परमीत सिंह धुरंधर

मैं शर्म से लहुँ-लुहान हो गया


वो कॉलेज का पहला दिन,
क्या खास बन गया!
वो पहली बार मिली,
और दिल खामोश रह गया.
दो चोटी जुल्फों की,
सीने पे झूल रहीं।
वो पास आके बैठीं,
और मैं शर्म से,
लहुँ-लुहान हो गया.
वो ज्यों-ज्यों संभालती रहीं,
अपना दुप्पट्टा।
मैं कभी पेन्सिल उठता रहा,
कभी पेन गिराता रहा.
उनकी घूरती आँखों में,
एक सवाल बनके रह गया.
फिर नहीं हुआ कभी ये हादसा,
उनकी आँखों में कोई और था बसा.
वो चलती रहीं परिसर में,
थाम के किसी की बाहें।
और वो यादे लिए मैं,
अकेला ही रह गया.

 

परमीत सिंह धुरंधर

कालेज में एक नया चेहरा


कालेज में एक नया चेहरा,
मजनुओं के महफिल में,
जोश जगा गया.
जो मिट गए मोहब्बत में,
वो किसी काम के नहीं.
पर इन बचे हुए, दबे, हारे,
कुचलों के मन में,
इंकलाब जगा गया.
कुछ खास नहीं,
बस एक दुप्पट्टे में हैं,
इस उजड़ी हुई बस्ती में,
एक चाँद सी हैं.
की एक,
चलना ही देख कर उनकी,
बहक रहे हैं यहाँ सभी,
एक झलक उनकी,
कब्र में जाने से पहले,
जन्नत दिखा गया.
अब साजिस रची जाएंगी,
किस्से गढ़े जाएंगे,
जीते-जश्न, गमे-हार,
के दौर भी आएंगे।
मगर, उदास चेहरों,
बुझती जवानी,
इन अँधेरी रातों में,
कोई फिर से आज,
सुनहरे भविष्य और,
मीठे ख़्वाबों का,
एक दिया जला गया.

 

परमीत सिंह धुरंधर