खूबसूरत है जो ह्रदय,
वो सजता-सवरता ही नही.
सजने-सवरने वालों में,
कोई ह्रदय ही नहीं.
मैं कल भी चूड़ी लाया था,
मैं आज भी कंगन लाया हूँ.
आइना भी इंतज़ार में बैठा है,
चूल्हा है की भुझता ही नहीं.
सुबह थक कर चली गयी,
रात ऊब कर ढल गयी.
गजरा भी अब सुख गया,
बेलन-चौकी उनकी थकती ही नही.
परमीत सिंह धुरंधर