Category: RamManohar Lohia
हमें JNU नहीं, नालंदा चाहिए
हमें JNU नहीं,
नालंदा चाहिए।
तुम मांगते हो,
फ्रीडम ऑफ़ स्पीच,
हमें लोहिया चाहिए।
तुम चाहते हो दीवारें,
की साजिशें रचो.
हमें खुले आसमा के,
तले छत चाहिए।
तुम्हारे इरादें की हर फूल का,
अलग बगीचा हो.
हमें तो अनेक फूलों की,
एक ही माला चाहिए।
की अब वक्त आ गया है,
हमें चाणक्य चाहिए।
की हमें अफजल नहीं,
बस अशफाक चाहिए,
हर Crassa को अब यहाँ,
एक आफताब चाहिए।
अपनी आखिरी साँसों तक,
हिन्दू-मुस्लिम-सिक्ख-ईसाई,
सबको पूरा और एक हिन्दुस्तान चाहिए।
परमीत सिंह धुरंधर
राममनोहर लोहिया: हमारा भी हक़ है
हम वीरों की धरती के,
वाशिंदे हैं.
हम कारिंदे नहीं,
जो यूँ पगार लें.
इस धरती पे,
हमारा भी हक़ है.
हम कोई पंक्षी नहीं,
जो यूँ आहार लें.
तुम्हे अगर नहीं है स्वीकार,
हमारी समानता,
तो ये तुम्हारी मज़बूरी है.
हम कोई फ़कीर नहीं,
जो अपने पेट पे प्रहार लें.
परमीत सिंह धुरंधर
राममनोहर लोहिया: मैं टकराता चलूँगा
यूँ ही जुल्म को मिटाता चलूँगा,
ए सत्ताधीशों,
सुन लो, मैं टकराता चलूँगा।
तुम सत्ता के जिस सिहासन पे बैठो हो,
मैं उसकी जड़ों को हिलाता चलूँगा।
ए सत्ताधीशों,
सुन लो, मैं टकराता चलूँगा।
तुम्हारे वादे झूठे, दिखावे और फरेब हैं,
मैं जन-जन को ये बताता चलूँगा।
ए सत्ताधीशों,
सुन लो, मैं टकराता चलूँगा।
तुम्हे अगर भूख है गरीबों के लहूँ की,
तो मैं तुम्हारी बागों को उजाड़ता चलूँगा।
ए सत्ताधीशों,
सुन लो, मैं टकराता चलूँगा।
तुम्हे गुरुर है जिन गुलाबों के प्रेम पे,
जब तक सांस हैं तन में,
मैं इन गुलाबों को सुखाता चलूँगा।
ए सत्ताधीशों,
सुन लो, मैं टकराता चलूँगा।
परमीत सिंह धुरंधर
लोहिया एक आंदोलन थे
लोहिया एक आंदोलन थे,
जीवन और संघर्ष,
का सम्मलेन थे.
मुस्कराते हुए भी,
कंटीले पथों पे चलकर,
जुल्म के खिलाफ,
खड़ी हुई भीड़ का आभूषण थे.
लोहिया एक आंदोलन थे.
जब भाग रहे थे सभी अंधे हो कर,
गांधी और नेहरू की तरफ.
तब हम जैसे सत्य के सिपाहियों,
के लिए वो एक भगवान थे.
लोहिया एक आंदोलन थे,
अपने आप में सम्पूर्ण जन-आंदोलन थे.
लोहिया एक आंदोलन थे.
परमीत सिंह धुरंधर