शिव ने जब भी किया है विषपान,
जग में तब – तब हुआ है मंगल गान.
नारायण को मिलीं लक्ष्मी,
देवों ने किया अमृत – पान.
जब गरल से बढ़ा जग में संताप,
केवल शिव ने रखा हलाहल का मान.
परमीत सिंह धुरंधर
शिव ने जब भी किया है विषपान,
जग में तब – तब हुआ है मंगल गान.
नारायण को मिलीं लक्ष्मी,
देवों ने किया अमृत – पान.
जब गरल से बढ़ा जग में संताप,
केवल शिव ने रखा हलाहल का मान.
परमीत सिंह धुरंधर
I love to give my model,
Because I love dreaming,
And, not just the cultivation.
So give me, give me a break,
If you want to crack the nut,
And don’t want just the flavor.
Parmit Singh Dhurandhar
तहार चोलिया के तोड़ के बटन रानी,
आज कहबू त हो जाइ खुले – आम रानी।
ऐसे भी जानअ ता सारा ई जवार रानी,
तहार चोलिये में फँसल बा हमार जान रानी।
परमीत सिंह धुरंधर
अगर जीवन है एक संग्राम,
तो मेरे पिता हैं शालिग्राम।
जाने वो कौन सा एक पुण्य था,
जो मुझको मिला ये धाम.
कोई त्रिस्कार, कोई पुरस्कार,
अब मायने नहीं रखता।
इस रक्त से प्रवाहित मस्तक पे,
अब कोई और ताज नहीं शोभता।
अगर साँसों का होना है,
ब्रह्म के होने का प्रत्यक्ष प्रमाण,
तो मेरे पिता हैं उन वेदों का समस्त ज्ञान।
परमीत सिंह धुरंधर
मेरे पिता,
प्रेम था आपसे इतना,
की मैं विषपान कर लेता।
कलयुग है ये, वरना मैं भी,
महाकाल से टकराता।
मेरे दुखों को मिटाने को,
पिता ने जीवन बिता दिया।
मेरे मुस्कराहट को प्रज्जवलित रखने को,
जिसने जग से ठान लिया।
मेरे पिता,
मैं कमजोर निकला,
कुछ कर ना सका.
कलयुग है, वरना मैं भी,
कुरुक्षेत्र सजा देता।
महाकाल से, अपनी साँसों से,
आपका जीवन बदल लेता।
परमीत सिंह धुरंधर
यारो मैं प्यार करूँगा उस लड़की की बाहों में,
जिसके सपनों में बस हम हों,
और कोई ना हो उन आँखों में.
मेरा इंतजार जो करती हो चूल्हे और चौखट के बीच में,
चैन ना हो, जब तक आवाज घुंघरू की मेरे बैलों के,
पड़ ना जाये उन कानों में.
यारों मैं अंक भरूंगा उस लड़की के अंगों से,
जिसके सपनों में बस हम हों,
और कोई ना हो उन आँखों में.
जो बिना मुझे खिलाएं, ना खाये एक अन्न का भी दाना,
बिना मेरे मुस्कान के, ना खनके पायल जिसके पावों में.
यारों मैं तो रंग डालूंगा उस लड़की के वक्षों पे,
जिसके सपनों में बस हम हों,
और कोई ना हो उन आँखों में.
परमीत सिंह धुरंधर