पुत्र वही जो पिता के अपने चरणों में अभिमान करे,
चाहे शिव ही साक्षात् समक्ष हो,
वो पिता का ही गुणगान करे.
कुछ मोल नहीं इस जग में,
चाहे अमृतवा का ही पान हो,
वीर वही जो पिता के पाने शत्रुओं का संहार करे.
परमीत सिंह धुरंधर
पुत्र वही जो पिता के अपने चरणों में अभिमान करे,
चाहे शिव ही साक्षात् समक्ष हो,
वो पिता का ही गुणगान करे.
कुछ मोल नहीं इस जग में,
चाहे अमृतवा का ही पान हो,
वीर वही जो पिता के पाने शत्रुओं का संहार करे.
परमीत सिंह धुरंधर
हर पुत्र को पिता के प्यार का प्याला मिलना चाहिए,
ए खुदा,
जब तक पुत्र की प्यास न मिट जाए,
पिता – पुत्र का साथ बना रहना चाहिए।
सर्प – दंस से भी ज्यादा जहरीला है,
पिता से पुत्र का विछोह।
ए खुदा,
इस जहर का भी कोई तो काट होना चाहिए।
परमीत सिंह धुरंधर