दौलत की ऐसी बरसात
ना पहले देखि थी
ना शायद देख पाउँगा।
जियो – जियो हे अम्बानी
जुग – जग जियो हे अम्बानी।
कौन -कौन नहीं आया?
कौन – कौन नहीं नाचा?
तुम लग रहे थे इंद्रा
और नीता इंद्राणी।
जियो – जियो हे अम्बानी
जुग – जग जियो हे अम्बानी।
सोने की चिड़िया थी
कभी ये धरती अपनी भी
ऐसा पढ़ा और सूना था.
तुमने हकीकत में बदल दी
इतिहास की वो कहानी।
जियो – जियो हे अम्बानी
जुग – जग जियो हे अम्बानी।
परमीत सिंह धुरंधर