तानी सुनी न दिलवा के बतिया,
कोरा-कोरा मन बा, कोरा रे रतिया।
ए भोला तानी सुनी ना,
का कह अ तारी दुखिया।
गावें-गावें खेलनी,
सावन के झूला भी,
सब सखियाँ के गोद भरल,
बस रह गैनी हम ही,
कोरा-कोरा हमर आचार, कोरा रे देहिया।
तानी सुनी न दिलवा के बतिया,
कोरा-कोरा मन बा, कोर रे रतिया।
ए भोला तानी सुनी ना,
का कह अ तारी दुखिया।
Month: June 2014
जोबना
गोरी तहरे जोबना के भार से आइल बा देल्ली में भूचाल रे,
शौक
मयकदा और ये जाम तो है, हारे हुए सल्तनतो के लिए,
लूटा हुआ ये फकीर धुरंधर सिंह शौक रखता है आज भी तेरी लबो का.
दीवानगी
किसी और की नाराज़गी से,
इंसान बंदगी तो नहीं छोड़ सकता।
मोहब्बत पे मर मिटने वाला,
आशिकी तो नहीं छोड़ सकता।
वो और हैं जिससे मोहब्बत पसंद ना होगी,
उनसे सहम कर धुरंधर सिंह,
अपनी दीवानगी तो नहीं छोड़ सकता।
मै ऐसा नहीं
मै ऐसा नहीं जो आसमा के चाँद को पसंद आऊं,
मै ऐसा नहीं जो सितारों की महफ़िल में नज़र आऊं,
मै छोटा सा एक दरिया हूँ,
जिसकी लहरों में कोई धार नहीं,
मै ऐसा नहीं की किनारों को तौल दूँ.
मै जैसा भी हूँ, जहाँ भी हूँ,
सींच दूंगा इस मिटटी को,
सुख जाने से पहले दे जाऊंगा वो हरियाली परमित ,
जो नसीब नहीं सागर के बांहों में किसी को दोस्तों.
रिश्ते
वो क्या मेरे दर्द को समझेंगी जो दिलो से खेलती है,
अंदाजे-रुख
अंदाजे-रुख बयां करते है की इस सहर में कोई तो नया है, परमीत
प्यार
प्यार तभी सफल हो सकता है जब आप संत बन जाये, परमीत.
कुत्ते
यहाँ-वहां हर तरफ, हर रह में,
खर्डे हैं अनजाने कुत्ते,
अंधकार में भोंक रहे
जाने किसकी चाहत में.
दुर्लभ है एसा सानिध्य,
दोड़ रहे हैं एक साथ,
जाने किस मंजिल की चाहत में.
चीरते हैं अंधकार की खामोसियाँ,
चमकाते हैं आँखों को, जैसे
आसमां की बिजलियाँ.
पुकारते हैं, सर को
आसमां की तरफ कियें,
गा रहे हैं गीत मिलन का वलेंतिने’स डे पर,
ना जाने परमित, किस की चाहत में.
मुझे उठ के लड़ जाने दे मेरी माँ
एक बार मुझे उठ के लड़ जाने दे मेरी माँ,
तेरी आबरू, तेरी आरजू सब सवारूँगा.
हंस के रौंद गए हैं जो हमें,
उनके हर निसान को मिटा के जाऊंगा.
रख न सका जो इस जुबान को,
तो तेरी चरणों में सर कटा के जाऊंगा.
फिर से लहलहाएगी हरियाली,
फिर से तेरा दमान खुशहाल होगा,
ऐसे सजाऊंगा तेरा आँचल,
तेरे सर पे सोने का ताज होगा.
एक बार मुझे उठ के लड़ जाने दे मेरी माँ,
हर तरफ तेरा जय – जैकार होगा.