ये माना की,
मोहब्बत की हर दास्ताँ पे तेरा नाम होगा,
पर ये तो बता,
उनकी लबों पे किसका नाम होगा।
तू जो इतना कर रहा है उनकी खातिर,
ये तो बता,
उनकी दास्तानों पे किस- किस का निशान होगा।
परमीत सिंह धुरंधर
ये माना की,
मोहब्बत की हर दास्ताँ पे तेरा नाम होगा,
पर ये तो बता,
उनकी लबों पे किसका नाम होगा।
तू जो इतना कर रहा है उनकी खातिर,
ये तो बता,
उनकी दास्तानों पे किस- किस का निशान होगा।
परमीत सिंह धुरंधर
नशा मत करो जिंदगी में,
हर नशा कब्र की ओर ही जाता है.
मोहब्बत हो या जाम, एक बार सोच ले,
घर आखिर में खुद का ही बिकता है.
दो पल उनकी बाहों में जाने के लिए इतना है बेताब,
जहाँ जाके इंसान अपना सब कुछ गवाता है.
परमीत सिंह धुरंधर
उलझने उनकी सुलझाने से वो तेरी नहीं हो सकती,
उनको बनाने के बाद तो खुदा भी उलझा- उलझा रहता है.
परमीत सिंह धुरंधर
अकेला हूँ पर खुशियों का खजाना है.
कल तक सूखे इस उपवन में आज,
फिर से भौरों का आना जाना है.
मैं तो अँधेरे में हूँ पर आज पता चला,
हम से कितनों की उमिद्दों का जमाना है.
परमीत सिंह धुरंधर
फकीरों की बस्ती में हम अमीर बन गए हैं,
दिल को चिराग बना के, उन सबकी तक़दीर बन गए हैं.
रौशनी तो कभी थी ही नहीं मेरी, जानते थे हम ये बात,
पर आज हर एक रौशनी का वजीर बन गए हैं.
परमीत सिंह धुरंधर
दो जून को कहते हैं मुश्किल से, पर मुस्करा कर मिलते हैं,
ये बस्ती ही कुछ ऐसी है, जहाँ सब इठला कर चलते हैं.
परमीत सिंह धुरंधर
जख्मों को सीना नहीं आया, जाम को पीना नहीं आया,
हम तो देखते रह गए हुस्न उनका, घूघंट को उठाना नहीं आया.
वो झल्लाकर, चली गयीं एक नयी राह अपनी बनाकर,
हमको मोहब्बत में आज भी, भूलना नहीं आया.
परमीत सिंह धुरंधर
भूल हुई है तो सुधारो,
ना सुधरे तो भूल जावो वो भूल नहीं होती।
मोहब्बत कभी पाक नहीं होती,
आइना उत्तर के देखो,
सच्चाई कभी सफ़ेद नहीं होती।
मशगूल हो गए हो जिन बाहों में जाकर,
रात ढलने दो फिर देखो,
माशूमियात कभी इतनी खामोस नहीं होती।
उलाहने मिलते रहेंगे यूँ हैं हर कदम पे,
हुस्न बिना जिरह के कभी शांत नहीं होती।
परमीत सिंह धुरंधर
बाप का मंत्र कभी बेकार नहीं जाता,
ब्रह्माश्त्र भी इस के सामने काम नहीं आता.
परमीत सिंह धुरंधर
आँखे, होठ और आगोस किसकी चाहत नहीं,
दुनिया में सबसे बड़ी भीड़ ये ही.
परमीत सिंह धुरंधर